पापा
मेरे प्यारे पापा
आप के बिना सब कुछ अधूरा है .......
आप की याद बहुत आती है ,
आप साथ तो नहीं हो ....
लेकिन हर पल आपके साथ होने के अनुभव का ,
एहसास कर लेता हूँ।
सब के सामने रो तो नहीं सकता
लेकिन अकेले में जी भर कर रो लेता हूँ।
भूल तो नहीं पाऊगा आपको ,
लेकिन जब तक जिंदगी है तब तक आपकी
याद सताती रहेगी ....प्यारे पापा ....
मेरे प्यारे पापा जी .........
Note : - पिता बनने पर छुट्टी देने वाला पहला देश "जापान" हैं .
माँ
एक बार इस कविता को दिल से पढ़िये शब्द शब्द में गहराई है
जब आंख खुली तो अम्मा की , गोदी का एक सहारा था ,
उसका नन्हा सा आंचल मुझको , भूमण्डल से प्यारा था
उसके चेहरे की झलक देख ,चेहरा फूलों सा खिलता था
, उसके स्तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा , पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा हमको जी भर के प्यार किया
मैं उसका राजा बेटा था , वो आंख का तारा कहती थी ,
मैं बनूं बुढापे में उसका बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था , पढने विद्यालय भेजा था
,मेरी नादानी को भी निज अन्तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्नों का वो ,फौरन जवाब बन जाती थी ,
मेरी राहों के कांटे चुन वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से , इक रोग प्यार का ले आया
,जिस दिल में मां की मूरत थी वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना , अपने रिश्तों में झूल गया ,
अब करवाचौथ मनाता हूं मां की ममता को भूल गया
हम भूल गये उसकी ममता , मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन , वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी ,रह करके हमें खिलाती थी ,
हमको सूखा बिस्तर देकर , खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही , होठों को भाषा सिखलायी थी ,
मेरी नीदों के लिए रात भर , उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर , उसने डांटा समझाया था ,
बच जाउं बुरी नजर से , काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले , सारे बन्धन तोड. आए ,
बंगले में कुत्ते पाल लिए , मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर , कंकर-कंकर बीन लिए ,
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के , आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की , अभिलाषा तक ले आए ,
उसको पावन मंदिर से , गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी , आगे से हट जाती है ,
गर मां अपमानित होती , धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर , बेचारी मां क्या पाती है ,
रूखा सूखा खा लेती है , पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के , मंदिर में नहीं रख सकते हैं ,
वो लाखों पुण्य भले कर लें , इंसान नहीं बन सकते हैं
मां जिसको भी जल दे दे , वो पौधा संदल बन जाता है ,
मां के चरणों को छूकर पानी , गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से , भगवानों को पाला है,
मां के चरणों में जन्नत है ,गिरिजाघर और शिवाला है
हर घर में मां की पूजा हो ,ऐसा संकल्प उठाता हूं
,मैं दुनियां की हर मां के ,चरणों में ये शीश झुकाता हूं...
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मेरे पापा
मेरी पहचान है ' मेरे पापा '
मेरी हर ख़ुशी है ' मेरे पापा '
जो है लाखो में एक वो मेरी जान है
" मेरे पापा "
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निकाल के जिस्म से जो , अपनी जान देता है।
बड़ा ही मजबूत है वो पिता , जो कन्यादान देता है ।।
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संगत
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संगत का जरा ध्यान रखना साहब ।
संगत आपकी ख़राब होगी
और बदनाम-
माँ बाप और संस्कार होंगे ।।
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लाटरी सिर्फ पैसो की नहीं होती ,
जिंदगी में सही इंसान का मिलाना भी
किसी लाटरी से काम नहीं होता ।
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