बिल्ली - 🐹 और चूहा 🐀
बिल्ली 🐹 मौसी चली बनारस लेकर झोला डंडा,
गंगा तट पर मिला उसे तब मोटा 🐀 चूहा पांडा ।
चूहा बोला बिल्ली मौसी चलो करा दू पूजा ,
मुझ सा पंडा यहाँ घाट पर नहीं मिलेगा दूजा ।।
बिल्ली बोली ओ पंडा जी भूख लगी है भारी,
पूजा नहीं , पेट पूजा की करो तुरत तैयारी ।
समझा चूहा बिल्ली मौसी का , जो पंगा जी में ,
टिका - चन्दन छोड़ घाट - पर कूदा गंगा जी में ।।
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उल्टी सोच -
बैठ पेड़ पर मछली 🐟 सोचे अब क्या होगा राम ,
नजला हुआ मगर 🐊मामा को मुझको हुआ जुकाम ।
छाय - छाय कर मेढ़क जी ने छींका क्या दो बार ,
पोखर भर में मचा तहलका मेढ़क जी बीमार ।।
भागा पोखर से तब कछुआ सर पर रख कर पाँव ,
लेकिन देखा छाय - छाय कर छीके सारा गाँव ।
सभी कह रहे उल्टी नीति - यह मानव की पीर ,
कछुआ, मेढ़क, मगर - मछली को कहा सतावे नीर ।।
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हाथी 🐘और गिलहरी 🐁-
सूट पहन कर हाथी चौराहे पर आए ,
रिक्शा एक इशारा कर के वे तुरंत रुकवाए ।
चला रही थी हॉफ - हॉफ कर रिक्शा एक गिलहरी ,
बोले हाथी दादा, मैडम ले चल मुझे कचहरी ।।
तब तरेर कर आँखे वह हाथी दादा से बोली ,
लाज नहीं आती है तुमको करते हुए ठठोली ।।
अपना रिक्शा करू कबाड़ा तुमको यदि बैठा लूँ ,
जान बुझ कर क्यों साहब मै व्यर्थ मुसीबत पालू ?
माफ़ करो गुस्ताखी मिस्टर कोई ट्रक रुकवाओ ,
तब तुम उस पर बड़े ठाट से बैठ कचहरी जाओ ।।
😃😀😀😀😀
बन्दर 🙉और चूहे 🐀 का क्रिकेट
चूहे राजा क्रिकेट टीम के चुने गए कप्तान ,
अपनी बल्लेबाजी का था उनको बड़ा गुमान ।
पैड बांध दस्ताना पहने हेलमेट एक लगाए ,
टॉस जीत कर खुद ही पहले बैटिंग करने आए ।।
उधर दूसरी क्रिकेट टीम का बन्दर था कप्तान ,
उसे क्रिकेट के दाव - पेच की थी पूरी पहचान ।
पहला ही ओवर बन्दर ने बिल्ली से फिकवाया ,
चूहे को आउट करने का नया ढंग अपनाया ।।
चली गेंद लेकर जब बिल्ली कांपे डर के मारे ,
क्रीज छोड़ कर दूर हो गए धीरे से बेचारे ।।
चली गेंद स्टम्प उड़ गए - मचा जोर से हल्ला ,
आउट होकर चूहे राजा भागे ले कर बल्ला ।।
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कौन सिखाता है ?....
कौन सिखाता है चिड़ियों को चीं - चीं , चीं - चीं करना ?
कौन सिखाता फुदक - फुदक कर उनको चलना फिरना ?
कौन सिखाता फुर से उड़ना दाने चुग - चुग खाना ?
कौन सिखाता तिनके ला - ला कर घोसले बनाना ?
कौन सिखाता है बच्चो का लालन - पालन उनको ?
माँ का प्यार , दुलार ,चौकसी कौन सिखाता उनको ?
कुदरत का यह खेल वही हम सबको, सब कुछ देती ।
किन्तु नहीं बदले में हमसे वह कुछ भी है लेती ।।
हम सब उसके अंश कि जैसे तरु-पशु-पक्षी सारे ।
हम सब उसके वंशज जैसे सूरज - चाँद - सितारे ।।
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अगर पेड़ भी चलते ...
अगर पेड़ भी चलते होते कितने मजे हमारे होते ,
बाँध तने में उसके रस्सी चाहे जहा कही ले जाए ।
जहा कही भी धूप सताती उसके निचे झट सुस्ताते,
जहा कही वर्षा हो जाती उसके निचे हम छिप जाते ।
लगती जब भी भूख अचानक तोड़ मधुर फल उसके खाते ,
आती कीचड़ , बाढ़ कही तो झट उसके ऊपर चढ़ जाते ।
अगर पेड़ भी चलते होते कितने मजे हमारे होते .......
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ससुराल में स्वागत 😁😁
हमहू एक दिन ससुराल गए, जब दुइ दिन के पाए छुट्टी।
लेई गठरी तैयार भाए, हमहू एक दिन ससुराल गए।
हमरी सासु जब सुनी पाई, आवा दमाद सैतानी।
दौड़िन खोरा में चोटा लइके, दुई लोटा भर पानी।
सरहज सुनलेस -ननदोई अइलें वो के ख़ुशी भई दूना।
मारे ख़ुशी के पोती दिहलेस, पाने में खूब चुना।
हमहू खूब ख़ुशी होई, खा लिहले, पर सम्माइ पान जहर होइगा।
पर केतनउ कोशिश किहले हम, लेकिन आधा मुँह खडहर होइगा।
हाथ मुँह हम धोई के बइठे, आइल खाने की बारी।
साली मजाक में परोस दिहलेस, मरचा की तरकारी।
हम कहे की तू जीत गउ - हम हारी गए,
हमहू एक दिन ससुराल गए।
हुक्का पीके बइठे हम, बुढ़ऊ ने कहा तिखारी।
तनी हरुमाना के खेत में, जाइ कर रखवारी।
हमहू जातई कमरी बिछाई दिहले, करी ना कवनउ दिखाई।
फिर चार चोर घुस अइलेन, उम्मन रहा एक चोर काना।
धइ मुड़ी हमार मसक दिहलेस, जनलेस तरबूज पुराना।
हम कहे की जियतई भइल मउत,
और भव सागर के पार गए।
हमहू एक दिन ससुराल गए ।
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हाथी के जूते 😁😁
हाथी दादा पहन पजामा,
पहुंच गए बाजार।
जूते की दुकान देख कर,
मांगे जूते चार ।
भालू जूते वाला बोला,
बडा तुम्हारा नाप।
इतने बड़े न जूते बनाते,
दादा कर दो माफ़।
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