खेल
खले हमारे जीवन का बहुत अहम् हिस्सा है। खेल, खेलने से हमारा शरीर और मस्तिष्क चुस्त - दुरुस्त रहता है। हम जीवन के किसी पड़ाव पर हो, अगर खेल का नाम दिमाग में आता है, तो एक बार शरीर में ताजगी आ जाती है, ऐसा लगता है कि हम अभी बच्चे ही है या हम अभी भी खेल सकते है। उम्र कोई भी हो खेल तो मनोरंजन का रूप होता है। जिसे हम जब तक जीते है अनुभव कर सकते है।
खेल का उम्र से कोई लेना देना नहीं होता । आप किसी भी उम्र में खेल सकते है। लेकिन कुछ खेल उम्र के साथ ही ख़त्म हो जाते है। लेकिन आज मै आप को यहाँ उन खेलो के बारे में बताउगा जो, कि हमारे बचपन में हमारे गाँवो में खेले जाते है, कौन से महीने में हम कौन सा खेल, खेलते है। आज मै आपको महीने के हिसाब से खेलो से रूबरू कराऊंगा।
जनवरी महीना
पिट्टू ( SEVEN STONE )
इस महीने में ज्यादातर गांव में बच्चे पिट्टू ( पिट्टू सात पत्थरो का टुकड़ा जो एक टुकड़ा -दूसरे टुकड़े के ऊपर बारी-बारी से ईमारत केआकार में रक्खा होता है ) का खेल खेलते है । यह एक बहुत ही मनोरंजक खेल है।
इस खेल में बच्चो की दो टोली होती है। एक तरफ बच्चो की एक टोली जो एक गेंद लेकर पिट्टू पर फेकने को तैयार रहते है।
तो दूसरी तरफ दूसरी टोली के बच्चे गेंद पकड़ने को तैयार रहते है।
जैसे ही पहली टोली गेंद मार कर पिट्टू को गिराते है और गेंद दूर लुढ़क कर जाती है। तो दूसरी टोली गेंद पकड़ कर पहली टोली को गेंद से मार कर छूने का काम करती है।
उसी दौरान पहली टोली गिरे हुए पिट्टू को फिर से क्रमवार इमार की तरह एक के ऊपर एक कर के लगा देती है।
अगर पहली टोली को पिट्टू तैयार करने से पहले दूसरी टोली ने, गेंद से उनको मार दिया यानि छू लिया तो, खेल में गेंद से पिट्टू को मरने की बारी दूसरी टोली की हो जाती है।
यह खेल बड़ा ही मजेदार होता है।
जनवरी माह में सर्दी होने के कारण बच्चे कपडे ज्यादा पहनते है। जिससे गेंद अगर कोई फेक कर मरता भी है, तो ज्यादा चोट नहीं लगता।
इसे खेलने से एक तो शारीरिक व्यायाम होता है और साथ के साथ मनोरंजन भी होता है ।