बुधवार, 10 नवंबर 2021

जीवन की शिख


  जो बातें विद्यार्थियों को नहीं सिखाई जाती ...!


✅ - जीवन उतर चढ़ाव से भरा है इसकी आदत बना लो ।  

✅ - लोग तुम्हारे स्वाभिमान की परवाह नहीं करते , इस लिए पहले खुद को साबित करके दिखाओ । 

✅ - कालेज की पढाई पूरी करने के बाद 5 आकड़े वाली पगार की मत सोचो , एक रात में कोई वाइस प्रेसिडेंट नहीं बनता , इसके लिए अपर मेहनत करनी पड़ती है । 

✅ - अभी आपको अपने शिक्षक सख्त व् डरावने लगते होंगे क्योकि अभी तक आपके जीवन में वॉस नामक  प्राणी से पाला नहीं पड़ा ।

 - तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है , तुम्हारी पराजय सिर्फ तुम्हारी है , किसी को दोष मत दो , गलती से सीखो और आगे बढ़ो ।

 - तुम्हारे माता पिता तुम्हारे जन्म से पहले इतने नीरस और उबाऊ नहीं थे , जितना तुम्हे अभी लग रहा है, तुम्हारे पालन पोषण करने में उन्होंने इतना कष्ट उठाया कि उनका स्वभाव बदल गया ।  

✅ - सांत्वना पुरस्कार सिर्फ स्कूल में देखने को मिलता है , कुछ स्कूलों में तो पास होने तक परीक्षा दी जा सकती है , लेकिन बाहर की दुनिया के नियम अलग है , वहा हारने वाले को मौका नहीं मिलता । 

✅ - जीवन के स्कूल में कक्षाए और वर्ग नहीं होते और वहा महीने भर की छुट्टी नहीं मिलती आपको सीखने के लिए कोई समय नहीं देता , यह सब आपको खुद करना होता है ।

 - टीवी का जीवन सही नहीं होता और जीवन टीवी के सीरियल नहीं होते , सही जीवन में आराम नहीं होता , सिर्फ काम और काम होता हैं , क्या आपने कभी विचार किया कि लग्जरी क्लास कार ( जगुआर , हम्मर बीएमडब्लू , ऑडी , फेरारी ) का किसी टीवी चैनल पर कभी कोई विज्ञापन क्यों नहीं दिखाया जाता ? कारण  यह कि उन कार कम्पनी वालो को यह पता है कि ऐसी कार लेने वाले व्यक्ति के पास टीवी के सामने बैठने का फालतू समय नहीं होता ।

 - लगातार पढाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने मित्रो को कभी मत चिढ़ाओ , एक सयम ऐसा आएगा कि तुम्हे उनके निचे काम करना पड़ेगा ।     

 - लाटरी सिर्फ पैसो  होती , जिंदगी में सही इंसान का मिलना भी किसी लाटरी से काम नहीं होता ।

 - कर्म बढ़िया होने चाहिए ... क्योकि वक्त किसी का नहीं होता, जरा सी बात से मतलब बदल जाते है । ऊगली उठे तो बेइज्जती, और अंगूठा उठे तो तारीफ, और अगुठे और ऊगली मिले तो लाजवाब, यही तो है जिंगदी का हिसाब।    

 - तकलीफ किसे कहते है ! जब दिल में कहने को बहुत कुछ हो और जुबान खामोश और समझने वाला कोई ना हो..... 

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 जीवन में कुछ खास 

क्यूँ कहते हो की कुछ बेहतर  नहीं होता,

सच तो ये है की जैसा चाहो वैसा नहीं होता,

कोई  साथ न दे तो ग़म न कर,

खुद से बड़ा दुनिया में कोई 

हमसफ़र नहीं होता

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बूढ़े जब ज्यादा बात करते हैं -

बूढ़े जब ज्यादा बात करते हैं ,तो लोग उन्हें सठियाने का ताना मारते हैं, लेकिन डाक्टर इसे वरदान मानते हैं- 
डॉक्टर कहते हैं कि सेवानिवृत्त (माने वरिष्ठ नागरिकों) को  अधिक बात करनी चाहिये-
क्योंकि वर्तमान में स्मृति हानि को रोकने का कोई अन्य उपाय नहीं है- अधिक बात करना ही एकमात्र तरीका है- वरिष्ठ नागरिकों को ज्यादा बात करने से कम से कम तीन फायदे हैं-
पहला- बोलना मस्तिष्क को सक्रिय करता है, और मस्तिष्क को सक्रिय भी रखता है, क्योंकि भाषा और विचार एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं, खासकर जब जल्दी जल्दी बोलते हैं, जो स्वाभाविक रूप से तेजी से सोच प्रतिबिंब में परिणाम देता है- 
और स्मृति को भी बढ़ाता है, वरिष्ठ नागरिक जो बात नहीं करते हैं, उनकी याददाश्त कम होने की संभावना अधिक होती है-
दूसरा-  ज्यादा बोलने से तनाव दूर होता है, मानसिक बीमारी से बचा जाता है,और तनाव कम होता है- 
हम अक्सर कुछ नहीं कहते, लेकिन हम इसे अपने दिलों में दबा लेते हैं -और घुटन और असहज महसूस करते हैं,
यह सच है, इसलिये अच्छा होगा कि सीनियर्स को ज्यादा बात करने का मौका दिया जाये-
तीसरा- बोलने से चेहरे की सक्रिय मांसपेशियों का व्यायाम हो सकता है और साथ ही गले का व्यायाम होता है-  
और फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ सकती है, साथ ही यह आंखों और कानों के खराब होने के जोखिम को भी कम करता है और गुप्त जोखिमों को कम करता है जैसे कि चक्कर आना, घुमनी और बहरापन- 
संक्षेप में- यह कि सेवानिवृत्त, यानी वरिष्ठ नागरिक,के अल्जाइमर को रोकने का एकमात्र यही तरीका है कि जितना हो सके बात करें और लोगों के साथ सक्रिय रूप से संवाद करें- 
इसका कोई दूसरा इलाज नहीं है- 
हां आप निरन्तरअध्यन रत रहें - आपका बोलना अध्यन व अनुभव पर आधारित हो जिससे आपकी बात वजनदार लगे व आपके सम्मान में वृद्धि हो -

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